यदूतून
यह शब्द भजन 39, 62 और 77 के उपरिलेख में आता है, मगर इसका मतलब साफ-साफ नहीं पता। ऐसा लगता है कि उपरिलेख में उन भजनों के बारे में हिदायत दी गयी है। शायद यह कि उन्हें किस शैली में गाया जाना है या कौन-सा साज़ बजाया जाना है। एक लेवी संगीतकार का नाम भी यदूतून था। इसलिए हो सकता है कि भजनों की शैली या साज़ यदूतून या उसके बेटों से किसी तरह जुड़े थे।