क्या सही, क्या गलत: कैसे करें फैसला?
अगर आप कोई ऐसी जगह जाना चाहते हैं जहाँ पहले कभी नहीं गए, तो आप क्या करेंगे?
1. आपको जो रास्ता सही लग रहा है, उस पर जाएँगे?
2. दूसरों के पीछे-पीछे जाएँगे, यह मानकर कि उन्हें रास्ता पता होगा?
3. जी.पी.एस. या मैप देखेंगे या किसी गाइड या भरोसेमंद दोस्त से पूछेंगे जिसे रास्ता पता है?
अगर आप पहला या दूसरा तरीका अपनाएँ, तो हो सकता है कि आप भटक जाएँ और अपनी मंज़िल से दूर चले जाएँ। लेकिन अगर आप तीसरा तरीका अपनाएँ तो आप ज़रूर सही जगह पहुँचेंगे।
ज़िंदगी एक सफर की तरह है। और हम सब चाहते हैं कि यह सफर हमें खुशियों की मंज़िल तक ले जाए। पर हम उस मंज़िल तक पहुँचेंगे या नहीं, यह काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि सफर में हम किसकी सुनते हैं।
कई फैसलों का हमारी ज़िंदगी पर कुछ खास फर्क नहीं पड़ता। लेकिन कुछ फैसले बहुत खास होते हैं। उनसे पता चलता है कि हम अंदर से कैसे इंसान हैं और हम किन बातों को सही मानते हैं और किनको गलत। इन फैसलों का हमारे परिवारवालों और दोस्तों की ज़िंदगी पर भी बहुत असर पड़ सकता है। यह असर या तो अच्छा हो सकता है या बुरा और यह असर लंबे समय तक रहता है। ये खास फैसले कुछ इस तरह की बातों के बारे में होते हैं:
शादी और सैक्स
पैसा, ईमानदारी और नौकरी-पेशा
बच्चों की परवरिश
दूसरों के साथ हमारा व्यवहार
इन मामलों के बारे में आप ज़रूर ऐसे फैसले लेना चाहेंगे जिनसे आगे चलकर आप और आपका परिवार खुश रहे। लेकिन आप ऐसे फैसले कैसे ले सकते हैं?
हम सबके सामने एक बड़ा सवाल है: मेरे लिए सही क्या है और गलत क्या, यह फैसला करने में मुझे कहाँ से मदद मिल सकती है?
इस पत्रिका में समझाया जाएगा कि बाइबल एक गाइड की तरह है और सही-गलत के बारे में इसमें जो बताया गया है, उस पर आप क्यों भरोसा कर सकते हैं। आप यह भी जानेंगे कि सही फैसले करने में आपको बाइबल से कैसे मदद मिल सकती है।