पाँचवा राज़ लिहाज़ दिखाएँ
पाँचवा राज़ लिहाज़ दिखाएँ
“सब लोग यह जान जाएँ कि तुम लिहाज़ करनेवाले इंसान हो।”—फिलिप्पियों 4:5.
इसका क्या मतलब है। शादी-शुदा ज़िंदगी में कामयाब होनेवाले पति-पत्नी अकसर एक-दूसरे की गलतियाँ माफ करते हैं। (रोमियों 3:23) बच्चों के साथ पेश आते वक्त वे न तो हद-से-ज़्यादा सख्ती बरतते हैं, न ही उन्हें बहुत ज़्यादा ढील देते हैं। घर-परिवार को चलाने के लिए वे उतने ही नियम बनाते हैं, जितने ज़रूरी हैं। जब ज़रूरी होता है, तो बच्चे को सुधारने के लिए वे उसे “उचित सीमा तक” डाँटते-फटकारते भी हैं।—यिर्मयाह 30:11, बुल्के बाइबिल।
यह क्यों ज़रूरी है। बाइबल कहती है कि “जो बुद्धि स्वर्ग से मिलती है . . . वह लिहाज़ दिखानेवाली” होती है। (याकूब 3:17) परमेश्वर, असिद्ध इंसानों से यह उम्मीद नहीं करता कि वे कभी कोई गलती न करें, तो फिर क्या पति-पत्नी का एक-दूसरे से ऐसी उम्मीद करना सही होगा? छोटी-छोटी गलतियों के लिए दूसरे की बुराई करना उसे सुधरने में तो मदद नहीं देगा, उलटे वह मन-ही-मन आपसे कुढ़ता रहेगा। बेहतर यही होगा कि हम यह हकीकत कबूल करें: “हम सब कई बार गलती करते हैं।”—याकूब 3:2.
सही परवरिश करने में कामयाब माता-पिता अपने बच्चों के साथ पेश आते वक्त लिहाज़ दिखाते हैं। वे न तो हद-से-ज़्यादा अनुशासन देते हैं, न ही ऐसे होते हैं जिन्हें “खुश करना मुश्किल है।” (1 पतरस 2:18) जब किशोर उम्र के बच्चे ज़िम्मेदाराना तरीके से पेश आते हैं, तो वे उन्हें कुछ हद तक छूट देते हैं। वे उनकी ज़िंदगी की हर छोटी-छोटी बात में रोक-टोक नहीं करते। एक किताब कहती है कि एक किशोर की ज़िंदगी के हर पहलू में रोक-टोक करना ऐसा है “जैसे कोई बरखा रानी को मनाने के लिए नृत्य करते-करते थक जाए। बरखा तो नहीं बरसेगी, मगर हाँ आप ज़रूर पस्त हो जाएँगे।”
इन सवालों के जवाब दीजिए। नीचे दिए गए सवालों के जवाब देकर देखिए कि आप किस हद तक लिहाज़ दिखाते हैं।
◼ पिछली बार कब आपने अपने साथी की तारीफ की थी?
◼ पिछली बार कब आपने अपने साथी की नुक्ताचीनी की थी?
पक्का फैसला कीजिए। यहाँ दिए गए सवालों में अगर आपको पहले सवाल का जवाब देना मुश्किल लगा, मगर दूसरे का जवाब देने में आपको कोई दिक्कत नहीं हुई, तो एक ऐसा लक्ष्य रखने की सोचिए ताकि आप दूसरों को ज़्यादा लिहाज़ दिखा सकें।
क्यों न अपने साथी से बात करें कि आप दोनों लिहाज़ दिखाने के लिए क्या करने की ठान सकते हैं?
जब आपका किशोर बेटा/बेटी, ज़िम्मेदाराना ढंग से पेश आता है, तो सोचिए कि आप किन बातों में उसे छूट दे सकते हैं कि अपनी मरज़ी से फैसले करे?
क्यों न आप अपने किशोर बेटे/बेटी से ऐसे मसलों पर खुलकर बात करें, जैसे उसे किस वक्त तक घर लौटना चाहिए? (g09 10)
[पेज 7 पर तसवीर]
गाड़ी चलाते वक्त, जैसे एक ड्राइवर सावधानी बरतता है, वैसे ही परिवार में लिहाज़ दिखानेवाला इंसान जहाँ मुमकिन हो वहाँ दूसरों को आगे आने देता है