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सुखी परिवार का राज़

अपने हमसफर का साथ निभाइए हर कदम

अपने हमसफर का साथ निभाइए हर कदम

मानसी का कहना है: “मैं कुछ दिनों से देख रही थी कि मेरे पति मोहित मुझसे कटे-कटे रहने लगे थे और बच्चों से भी रूखाई से पेश आ रहे थे। * उनका व्यवहार तब से बदल गया था जब से हमने इंटरनेट लगवाया था। मुझे शक था कि ये इंटरनेट पर अश्‍लील तसवीरें देख रहे हैं। एक रात जब बच्चे सो गए, तब मैंने उनसे इस बारे में सीधे-सीधे पूछा। उन्होंने कबूल किया कि वे इंटरनेट पर अश्‍लील तसवीरें देखते हैं। यह सुनकर मेरे पैरों तले ज़मीन खिसक गयी। मुझे अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था। उन्होंने मेरा भरोसा पूरी तरह तोड़ दिया। एक तो मेरी ज़िंदगी में इतना बड़ा तूफान आया था, ऊपर से मेरे ऑफिस के एक साथी ने हाल ही में कहा कि वह मुझे चाहता है।”

मोहित का कहना है: “कुछ समय पहले मानसी ने हमारे कंप्यूटर पर एक तसवीर देख ली, जिसे मैंने लोड किया था। जब इस बारे में उसने मुझसे जवाब-तलब की तो मुझे कबूल करना पड़ा कि मैं अकसर इंटरनेट पर अश्‍लील तसवीरें देखता हूँ। यह सुनकर वह गुस्से से पागल हो गयी। मैं अपने किए पर बहुत शर्मिंदा था। मुझे लगा कि अब हमारी शादी को कोई नहीं बचा सकता।”

मोहित और मानसी के रिश्‍ते में दरार क्यों आयी? अगर आपसे यह सवाल किया जाए तो आप क्या जवाब देंगे? आप शायद कहें कि इसकी वजह, मोहित का अश्‍लील तसवीरें देखना था। लेकिन जैसा कि मोहित को बाद में एहसास हुआ यह घिनौनी आदत तो एक गंभीर समस्या की तरफ इशारा कर रही थी। वह यह कि एक-दूसरे का साथ निभाने का उनका इरादा कमज़ोर हो गया था। * जब मोहित और मानसी की नयी-नयी शादी हुई थी, तो उन्होंने हमेशा साथ रहने और एक-दूसरे से प्यार करते रहने का वादा किया था। लेकिन उनके साथ भी वही हुआ जैसा कई जोड़ों के साथ होता है। वक्‍त के गुज़रते वे अपना वादा भूलने लगे और उनके बीच की दूरियाँ बढ़ती गयीं।

आपके बारे में क्या? क्या अपने जीवन-साथी के संग आपका रिश्‍ता भी कमज़ोर पड़ गया है? क्या आप इस रिश्‍ते को दोबारा मज़बूत बनाना चाहते हैं? अगर हाँ, तो आपको इन तीन सवालों के जवाब जानने की ज़रूरत है: साथ निभाने के इरादे में क्या शामिल है? कौन-सी चुनौतियाँ इस इरादे को कमज़ोर कर सकती हैं? और इस इरादे को मज़बूत करने के लिए आप क्या कर सकते हैं?

साथ निभाने के इरादे में क्या शामिल है?

आप क्या सोचते हैं, साथ निभाने के इरादे में क्या शामिल है? कुछ लोगों को लगता है कि इसके लिए फर्ज़ की भावना होनी चाहिए। कुछ पति-पत्नी सिर्फ अपने बच्चों की खातिर एक-दूसरे से निबाह करते हैं, तो कुछ इसलिए कि वे शादी को परमेश्‍वर का ठहराया इंतज़ाम मानते हैं। (उत्पत्ति 2:22-24) बेशक इन वजहों से शादी के रिश्‍ते को निभाना काबिले-तारीफ है और इनसे एक जोड़े को ज़िंदगी में आनेवाले तूफानों का सामना करने में मदद मिलती है। लेकिन सिर्फ फर्ज़ के नाते एक-दूसरे का साथ निभाना काफी नहीं।

यहोवा परमेश्‍वर चाहता था कि शादी एक ऐसा बंधन हो, जिससे पति-पत्नी को बेइंतिहा खुशी और संतोष मिले। पुरुष को ‘अपनी पत्नी के साथ आनन्दित’ रहना चाहिए। और स्त्री को अपने पति से प्यार करना चाहिए। साथ ही, उसे यह महसूस होना चाहिए कि उसका पति उससे अपनी देह के समान प्रेम करता है। (नीतिवचन 5:18; इफिसियों 5:28) ऐसा करीबी रिश्‍ता बनाने के लिए पति-पत्नी को एक-दूसरे पर भरोसा करना चाहिए। उन्हें एक-दूसरे के अच्छे दोस्त भी होना चाहिए। जब पति-पत्नी एक-दूसरे का भरोसा जीतने और सबसे करीबी दोस्त बनने के लिए मेहनत करते हैं, तो साथ निभाने का उनका इरादा और भी पक्का हो जाता है। वे एक-दूजे के इतने करीब आ जाते हैं, मानो वे दो नहीं “एक तन” हों, ठीक जैसा बाइबल कहती है।—मत्ती 19:5.

देखा जाए तो साथ निभाने का इरादा गारे की तरह काम करता है, जो घर की एक-एक ईंट को जोड़ती है। गारा रेत, सीमेंट और पानी को मिलाकर बनाया जाता है। उसी तरह पति-पत्नी में साथ निभाने का इरादा तभी होगा, जब उनमें फर्ज़, दोस्ती और भरोसे की भावना होगी। लेकिन अब सवाल यह है कि कौन-सी चुनौतियाँ इस इरादे को कमज़ोर कर सकती हैं?

ये चुनौतियाँ क्या हैं?

साथ निभाने का वादा पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत और त्याग की ज़रूरत होती है। अपने साथी की खुशी के लिए शायद आपको अपनी पसंद और इच्छाओं का त्याग करना पड़े। मगर अफसोस, आज यह भावना दुनिया में बहुत कम देखने को मिलती है। दूसरों के लिए अपनी इच्छाओं का त्याग करने से पहले लोग अकसर अपना फायदा देखते हैं। कुछ तो ऐसे भी हैं, जिन्हें दूसरों के लिए त्याग करना नागवार गुज़रता है। लेकिन खुद से पूछिए, ‘मैं ऐसे कितने लोगों को जानता हूँ जो स्वार्थी हैं, मगर अपनी शादीशुदा ज़िंदगी से खुश हैं?’ शायद आप कहें, एक भी नहीं। ऐसा क्यों? क्योंकि जब एक स्वार्थी इंसान को अपने हमसफर का साथ निभाने के लिए त्याग करना होता है, तो वह ऐसा नहीं करता। खासकर तब जब उसे अपना कोई फायदा नज़र नहीं आता। अगर पति-पत्नी में साथ निभाने का इरादा न हो, तो उनके मधुर रिश्‍ते में जल्द ही कड़वाहट आ जाएगी।

बाइबल इस हकीकत को कबूल करती है कि शादी का बंधन बनाए रखने में कड़ी मेहनत लगती है। यह बताती है “विवाहित पुरुष सांसारिक बातों की चिन्ता करता है कि अपनी पत्नी को कैसे प्रसन्‍न करे।” और “जो विवाहिता है उसको सांसारिक बातों की चिन्ता रहती है, कि अपने पति को कैसे प्रसन्‍न रखे।” (1 कुरिन्थियों 7:33, 34, NHT) जो पति-पत्नी स्वार्थी नहीं होते वे भी कभी-कभी अपने साथी की चिंताओं को नहीं समझ पाते या उनके त्याग की कदर नहीं करते। जब पति-पत्नी एक-दूसरे के लिए कदरदानी नहीं दिखाते, तो उन्हें अपनी शादीशुदा ज़िंदगी में ज़्यादा “दुख” झेलने पड़ते हैं।—1 कुरिन्थियों 7:28.

अगर आप चाहते हैं कि अच्छे-बुरे वक्‍त में आपका बंधन बना रहे और मज़बूत होता जाए, तो इसे हमेशा का बंधन समझिए। आप ऐसा नज़रिया कैसे पैदा कर सकते हैं? और आप अपने साथी को भी यही करने का बढ़ावा कैसे दे सकते हैं?

साथ निभाने का इरादा कैसे मज़बूत करें

सबसे अहम बात है, परमेश्‍वर के वचन बाइबल में दी सलाहों को नम्रता से मानना। इससे आपको और आपके साथी को “लाभ” होगा। (यशायाह 48:17) आइए गौर करें कि आप कौन-से दो कारगर कदम उठा सकते हैं।

1. अपनी शादीशुदा ज़िंदगी को पहली जगह दीजिए।

प्रेरित पौलुस ने लिखा: ‘पहचानिए कि ज़्यादा अहमियत रखनेवाली बातें क्या है।’ (फिलिप्पियों 1:10, NW) यहोवा की नज़र में यह बात अहमियत रखती है कि पति-पत्नी एक-दूसरे से किस तरह पेश आते हैं। जो पुरुष अपनी पत्नी का आदर करता है, परमेश्‍वर भी उसका आदर करता है। और जो स्त्री अपने पति का आदर करती है, उसका ‘परमेश्‍वर की दृष्टि में बड़ा मूल्य है।’—1 पतरस 3:1-4, 7.

आप अपनी शादी को कितनी अहमियत देते हैं? आम तौर पर जो काम आपके लिए अहमियत रखता है, आप उसमें ज़्यादा-से-ज़्यादा वक्‍त बिताते हैं। खुद से पूछिए, ‘मैंने पिछले महीने अपने साथी के साथ कितना वक्‍त बिताया? मैंने क्या उसके लिए ऐसा कुछ किया है, जिससे उसे यकीन हो कि हम आज भी अच्छे दोस्त हैं?’ अगर आपने अपने हमसफर के साथ बहुत कम वक्‍त बिताया है, तो उसे यह विश्‍वास करना मुश्‍किल लगेगा कि आप साथ निभाने के अपने इरादे पर कायम हैं।

क्या आपके साथी को यकीन है कि आप उसका साथ निभाने का पक्का इरादा रखते हैं? यह आप कैसे पता कर सकते हैं?

इसे आज़माइए: एक कागज़ पर इन पाँच बातों को लिखिए: पैसा, नौकरी, जीवन-साथी, मनोरंजन और दोस्त। अब उन्हें उस हिसाब से नंबर दीजिए, जिस हिसाब से आपको लगता है कि वे आपके साथी के लिए मायने रखते हैं। अपने साथी से भी ऐसा करने के लिए कहिए। इसके बाद, अपने-अपने कागज़ आपस में बदल लीजिए। अगर आपके साथी को लगता है कि आप शादी के रिश्‍ते को बनाए रखने के लिए समय नहीं दे रहे हैं और मेहनत भी नहीं कर रहे हैं, तो उससे बात कीजिए। और यह जानने की कोशिश कीजिए कि आप क्या बदलाव कर सकते हैं, जिससे आपका रिश्‍ता मज़बूत हो जाए। इसके अलावा खुद से पूछिए, ‘जो बातें मेरे साथी को पसंद हैं, उनमें अपनी दिलचस्पी बढ़ाने के लिए मैं क्या कर सकता/ती हूँ?’

2. हर किस्म की बेवफाई से दूर रहिए।

यीशु मसीह ने कहा: “जो कोई किसी स्त्री को कामुकता से देखे, वह अपने मन में उस से व्यभिचार कर चुका।” (मत्ती 5:28, NHT) जब एक शादीशुदा इंसान किसी पराए के साथ शारीरिक संबंध रखता है, तब वह अपना ही बसा-बसाया घर उजाड़ देता है। बाइबल कहती है कि इस आधार पर उसका बेगुनाह साथी तलाक ले सकता है। (मत्ती 5:32) लेकिन ऊपर बताए यीशु के शब्दों से पता चलता है कि व्यभिचार की शुरूआत तभी हो जाती है जब एक इंसान के दिल में गलत इच्छा पैदा होती है। उस इच्छा पर सोचते रहना ही अपने आपमें एक किस्म की बेवफाई है।

इसके अलावा, अपने हमसफर का साथ निभाते रहने के लिए यह ज़रूरी है कि आप पोर्नोग्राफी से दूर रहें। लोग चाहे कुछ भी कहें, मगर यह एक हकीकत है कि पोर्नोग्राफी शादीशुदा ज़िंदगी में ज़हर घोलती है। एक पति की मिसाल लीजिए जिसे पोर्नोग्राफी देखने की लत है। गौर कीजिए कि इस लत के बारे में उसकी पत्नी कैसा महसूस करती है: “मेरे पति कहते हैं कि पोर्नोग्राफी देखने से हमारे बीच रोमांस और भी बढ़ेगा। लेकिन मुझे तो लगता है जैसे उनकी नज़र में मेरा कोई मोल नहीं और वे मुझसे खुश नहीं। वे जब भी पोर्नोग्राफी देखते हैं, मेरी पूरी रात रोते-रोते कटती है।” आपको क्या लगता है, यह आदमी अपने शादी के बंधन को मज़बूत कर रहा है या उसे कमज़ोर बना रहा है? क्या उसकी इस लत की वजह से पत्नी के लिए उससे वफा निभाना आसान रहेगा? क्या वह दिखा रहा है कि वह अपनी पत्नी को अपना सबसे करीबी दोस्त मानता है?

परमेश्‍वर के एक सेवक अय्यूब ने कहा: “मैं ने अपनी आँखों के विषय वाचा बान्धी है।” उसने ठान लिया था कि वह ‘किसी कुंवारी को बुरी नज़र से नहीं देखेगा।’ (नयी हिन्दी बाइबल) (अय्यूब 31:1) इन शब्दों से अय्यूब ने अपनी पत्नी और अपने परमेश्‍वर के लिए वफादारी ज़ाहिर की। आप अय्यूब की मिसाल पर कैसे चल सकते हैं?

पोर्नोग्राफी से दूर रहने के अलावा, आपको अपने दिल की भी हिफाज़त करनी चाहिए, ताकि आपको विपरीत लिंग के किसी व्यक्‍ति से लगाव न हो जाए। माना कि कई लोग सोचते हैं कि दूसरों के साथ इश्‍क लड़ाने से उनकी शादीशुदा ज़िंदगी को कोई नुकसान नहीं पहुँचेगा। लेकिन परमेश्‍वर का वचन आगाह करता है: “मनुष्य का हृदय सब से अधिक कपटी और अविश्‍वसनीय है। उसकी थाह कौन ले सकता है?” (यिर्मयाह 17:9, बुल्के बाइबिल) कहीं आपका दिल आपको धोखा तो नहीं दे रहा? खुद से पूछिए: ‘मैं किसकी तरफ ज़्यादा ध्यान देता/ती हूँ, अपने जीवन-साथी की तरफ या विपरीत लिंग के किसी व्यक्‍ति की तरफ? अगर कोई अच्छी खबर है, तो क्या मैं सबसे पहले अपने साथी को बताता/ती हूँ या किसी और को? अगर मेरा साथी मुझे विपरीत लिंग के दोस्त से मेल-जोल कम करने को कहता है, तो मैं कैसा रवैया दिखाता/ती हूँ? क्या मैं नाराज़ हो जाता/ती हूँ या मैं खुशी-खुशी उसकी बात मान लेता/ती हूँ?’

इसे आज़माइए: अगर कभी आपको लगे कि अपने साथी के अलावा आपको किसी और से लगाव हो रहा है, तो उस व्यक्‍ति से जब-तब मिलना बंद कर दीजिए। और अगर मिलना ज़रूरी हो, तो अपनी बातचीत सिर्फ काम तक ही सीमित रखिए। आपको शायद लगे कि वह व्यक्‍ति आपके जीवन-साथी से लाख बेहतर है। लेकिन ऐसा सोचने के बजाय अपने साथी के अच्छे गुणों पर ध्यान दीजिए। (नीतिवचन 31:29) उन बातों को याद कीजिए जिनकी वजह से आप अपने साथी से प्यार करने लगे थे। खुद से पूछिए: ‘क्या सचमुच मेरे साथी में वे अच्छे गुण नहीं रहे या मैं उन्हें देख नहीं पा रहा/ही हूँ?’

पहल कीजिए

मोहित और मानसी ने, जिनका ज़िक्र लेख की शुरूआत में किया गया है, अपनी समस्याओं को पहचाना और उन्हें सुलझाने के लिए मदद लेने का फैसला किया। यह सच है कि मदद लेना तो बस एक शुरूआत है। मगर यह कदम उठाकर उन्होंने दिखाया कि वे अपने शादी के बंधन को निभाना चाहते हैं और हर हाल में अपने रिश्‍ते को कामयाब बनाना चाहते हैं।

चाहे आपकी शादीशुदा ज़िंदगी खुशहाल हो या तनाव से भरी हो, आपके जीवन-साथी को यह जानने की ज़रूरत है कि आप अपनी शादी को कामयाब बनाने का पक्का इरादा रखते हैं। अपने साथी को इस सच्चाई का यकीन दिलाने के लिए ज़रूरी कदम उठाइए। क्या आप ऐसा करने के लिए तैयार हैं? (w08 11/1)

^ नाम बदल दिए गए हैं।

^ भले ही यहाँ एक आदमी का उदाहरण दिया गया है, लेकिन अगर एक स्त्री भी पोर्नोग्राफी देखती है, तो वह अपने पति का साथ निभाने के वादे से चूक रही है।

खुद से पूछिए . . .

  • मैं किन कामों में कटौती करके अपने साथी को ज़्यादा समय दे सकता हूँ?

  • मैं अपने साथी को यह भरोसा कैसे दिला सकता हूँ कि मैं उसका साथ निभाने का इरादा रखता हूँ?