लूका के मुताबिक खुशखबरी 5:1-39
कई फुटनोट
अध्ययन नोट
गन्नेसरत झील: गलील झील का दूसरा नाम। यह झील उत्तरी इसराएल में ताज़े पानी की झील है। (मत 4:18) इसे किन्नेरेत झील (गि 34:11) और तिबिरियास झील भी कहा जाता था। (यूह 6:1 का अध्ययन नोट देखें।) यह झील समुद्र-तल से औसतन 700 फुट (210 मी.) नीचे है। उत्तर से दक्षिण में इसकी लंबाई 21 कि.मी. (13 मील) और पूरब से पश्चिम में इसकी चौड़ाई 12 कि.मी. (8 मील) है। इसकी सबसे ज़्यादा गहराई करीब 160 फुट (48 मी.) मापी गयी है। गन्नेसरत एक छोटा-सा मैदान है, जो झील के उत्तर-पश्चिमी तट पर है। कुछ विद्वानों का मानना है कि गन्नेसरत शायद शुरूआती इब्रानी भाषा के नाम किन्नेरेत का यूनानी अनुवाद है।—मत 14:34 का अध्ययन नोट और अति. क7, नक्शा 3ख, “गलील के पास” देखें।
नाव में बैठकर भीड़ को सिखाने लगा: मत 13:2 का अध्ययन नोट देखें।
उनके जाल में आ फँसीं: या “पकड़ीं।”
एक आदमी था जिसका पूरा शरीर कोढ़ से भरा था: बाइबल में बताया कोढ़ एक गंभीर चर्मरोग था। यह आज के कोढ़ जैसा नहीं था। जब किसी को कोढ़ हो जाता था तो उसे समाज से निकाल दिया जाता था। ठीक होने के बाद ही वह वापस आ सकता था। (लैव 13:2, फु., 45, 46; शब्दावली में “कोढ़; कोढ़ी” देखें।) जब खुशखबरी के लेखकों मत्ती और मरकुस ने यह घटना लिखी, तो उन्होंने इस आदमी को बस “एक कोढ़ी” कहा। (मत 8:2; मर 1:40) लेकिन वैद्य लूका जानता था कि कोढ़ के अलग-अलग चरण होते हैं। (कुल 4:14) यहाँ लूका ने बताया कि इस आदमी का “पूरा शरीर कोढ़ से भरा था।” ज़ाहिर है कि इस आदमी की बीमारी भयानक रूप ले चुकी थी।—लूक 4:38 का अध्ययन नोट देखें, जहाँ लूका ने एक और बीमारी की गंभीरता बतायी।
यहोवा की शक्ति: हालाँकि यूनानी हस्तलिपियों में यहाँ शब्द किरियॉस (प्रभु) इस्तेमाल हुआ है, फिर भी परमेश्वर का नाम इस्तेमाल करना सही है। संदर्भ से साफ पता चलता है कि यहाँ किरियॉस परमेश्वर के लिए इस्तेमाल हुआ है। यूनानी शब्द डायनामिस, जिसका अनुवाद “शक्ति” या “ताकत” किया जा सकता है, सेप्टुआजेंट में इब्रानी शास्त्र की उन आयतों में आया है जिनमें यहोवा की “शक्ति” या “ताकत” की बात की गयी है और जिनके संदर्भ में परमेश्वर का नाम चार इब्रानी अक्षरों में लिखा है। (भज 21:1, 13; 93:1; 118:15) लूक 5:17 के बारे में विद्वानों ने गौर किया है कि यूनानी में किरियॉस से पहले निश्चित उपपद नहीं लिखा गया, जबकि व्याकरण के मुताबिक आना चाहिए था और यह दिखाता है कि किरियॉस व्यक्तिवाचक संज्ञा के बराबर है। यह बात गौर करनेवाली है क्योंकि भले ही सेप्टुआजेंट की सबसे पुरानी कॉपियों में परमेश्वर का नाम है, मगर बाद की कॉपियों में अकसर उस नाम की जगह किरियॉस लिखा जाने लगा और वह भी अकसर बिना निश्चित उपपद के। यह एक और सबूत है कि किरियॉस परमेश्वर के नाम की जगह इस्तेमाल हुआ है। इब्रानी शास्त्र में “यहोवा की शक्ति” शब्द जिस तरह लिखे गए हैं वह और यूनानी में निश्चित उपपद का न लिखा जाना दिखाते हैं कि यहाँ परमेश्वर का नाम इस्तेमाल करना सही है।—अति. ग देखें।
खपरैल हटाकर: यीशु ने लकवे के मारे आदमी को ठीक किया था, वह घटना मत्ती (9:1-8), मरकुस (2:1-12) और लूका में दर्ज़ है। हर किताब में इस घटना की कुछ ऐसी जानकारी दी गयी है, जो बाकी दो किताबों में नहीं है। जैसे, मत्ती ने यह नहीं बताया कि उस आदमी को छत से नीचे उतारा गया था, जबकि मरकुस ने लिखा कि उसके दोस्तों ने छत को खोदकर खोल दिया और उसे खाट समेत नीचे उतारा। लूका ने लिखा कि “खपरैल हटाकर” उसे नीचे उतारा गया। (मर 2:4 का अध्ययन नोट देखें।) खपरैल के यूनानी शब्द कीरामॉस का मतलब “मिट्टी” भी हो सकता है, जिससे छत पर, दीवारों या फर्श पर लगाने के लिए पटियाएँ बनायी जाती थीं। लेकिन यहाँ यूनानी शब्द का बहुवचन इस्तेमाल हुआ है जिससे मालूम पड़ता है कि “खपरैल” की बात की गयी है। इस बात के सबूत हैं कि प्राचीन इसराएल में खपरैल इस्तेमाल की जाती थीं। हालाँकि यह कहना नामुमकिन है कि मरकुस और लूका के ब्यौरों में किस तरह की छत की बात की गयी है, मगर हो सकता है कि खपरैल ऐसे ही मिट्टी की छत पर रखी गयी हों या फिर उन्हें मिट्टी में धँसाया गया हो। चाहे छत कैसी भी बनी हो, ब्यौरों से साफ पता चलता है कि लकवे के मारे आदमी को यीशु के सामने लाने के लिए उसके दोस्तों ने कितने जतन किए। इससे वाकई उनका गहरा विश्वास ज़ाहिर होता है, इसलिए तीनों ब्यौरों में बताया गया है कि यीशु ने “उन आदमियों का विश्वास देखा।”—लूक 5:20.
लेवी: इसके मिलते-जुलते ब्यौरे मत 9:9 में इस चेले को मत्ती कहा गया है। जब मत्ती कर वसूलने का काम करता था, तो उन घटनाओं का ज़िक्र करते वक्त मरकुस और लूका ने उसे लेवी कहा (मर 2:14), लेकिन जब प्रेषित के तौर पर उसका ज़िक्र किया तो उसे मत्ती कहा (मर 3:18; लूक 6:15; प्रेष 1:13)। बाइबल यह नहीं बताती कि यीशु का चेला बनने से पहले लेवी का नाम मत्ती था या नहीं।—मर 2:14 का अध्ययन नोट देखें।
खाना खा रहे थे: मर 2:15 का अध्ययन नोट देखें।
अपने दोस्तों: मत 9:15 का अध्ययन नोट देखें।
ही बढ़िया: या शायद, “और भी बढ़िया।” ये शब्द कुछ हस्तलिपियों में पाए जाते हैं।
तसवीर और ऑडियो-वीडियो
सन् 1985-1986 में सूखा पड़ने की वजह से गलील झील में पानी काफी कम हो गया था। इससे उसमें प्राचीन समय की एक नाव का पेटा (मुख्य भाग) दिखायी देने लगा। यह नाव दलदल में धँस गयी थी। इसका जो अवशेष मिला है उसकी लंबाई 27 फुट (8.2 मी.), चौड़ाई 7.5 फुट (2.3 मी.) और गहराई लगभग 4.3 फुट (1.3 मी.) है। पुरातत्ववेत्ताओं का कहना है कि यह नाव ईसा पूर्व पहली सदी और ईसवी सन् पहली सदी के बीच की है। यह पेटा फिलहाल इसराएल के एक संग्रहालय में रखा है। इस वीडियो में दिखाया गया है कि करीब 2,000 साल पहले यह नाव कैसी दिखती होगी।
बाइबल में कई बार मछलियों, मछलियाँ पकड़ने और मछुवारों का ज़िक्र गलील झील के साथ किया गया है। गलील झील में करीब 18 किस्म की मछलियाँ पायी जाती हैं जिनमें से करीब 10 किस्मों में ही मछुवारों को दिलचस्पी होती है। व्यापार क्षेत्र में इन्हें तीन खास समूहों में बाँटा जाता है। पहला है बीन्नी जिसे बारबल भी कहा जाता है (चित्र में बारबस लोंजिसेप्स दिखायी गयी है) (1)। इसकी तीन प्रजातियों के मुँह के किनारों पर कड़े बाल होते हैं। इसलिए इसके शामी (Semitic) नाम बीनी का मतलब है “बाल।” इसका खाना सीपियाँ, घोंघे और छोटी-छोटी मछलियाँ होती हैं। लंबे सिरवाली बारबल की लंबाई करीब 30 इंच (75 सें.मी.) और वज़न 7 किलो से ज़्यादा होता है। दूसरा समूह है, मश्त (चित्र में तिलापिया गैलिलीया दिखायी गयी है) (2), जिसका अरबी में मतलब है “कंघा” क्योंकि इसकी पाँच प्रजातियों की पीठ का पंख कंघे जैसा होता है। एक किस्म की मश्त मछली की लंबाई करीब 18 इंच (45 सें.मी.) और वज़न करीब 2 किलो होता है। तीसरा समूह है, किन्नेरेत सार्डीन (चित्र में अकैंथोब्रामा टेरै सैंकटै दिखायी गयी है) (3), जो दिखने में छोटी हिलसा मछलियों की तरह है। पुराने ज़माने से लेकर आज तक सार्डीन मछलियों को नमकीन पानी या सिरके में रखा जाता है ताकि वे बहुत दिनों तक खाने के काम आ सकें।
यह तसवीर दो सबूतों के आधार पर बनायी गयी है। पहला सबूत है, गलील झील के किनारे दलदल में पाया गया एक नाव का अवशेष, जो पहली सदी में मछलियाँ पकड़ने के लिए इस्तेमाल की जाती थी। दूसरा, समुद्र किनारे बसे मिगदल नगर में पहली सदी के एक घर में मिली पच्चीकारी। इस तरह की नाव में शायद एक मस्तूल और पाल लगे होते थे और पाँच लोगों की एक टोली होती थी, चार चप्पू चलानेवाले और एक पतवार चलानेवाला। पतवार चलानेवाला नाव के पिछले हिस्से में बनी छोटी-सी मचान पर खड़ा होता था। यह नाव करीब 26.5 फुट (8 मी.) लंबी होती थी। बीच में इसकी चौड़ाई करीब 8 फुट (2.5 मी.) और गहराई करीब 4 फुट (1.25 मी.) होती थी। ऐसा मालूम होता है कि इसमें 13 या उससे ज़्यादा लोग आ सकते थे।