सवाल 18
आप परमेश्वर के दोस्त कैसे बन सकते हैं?
“हे प्रार्थना के सुननेवाले, सब किस्म के लोग तेरे पास आएँगे।”
“तू अपनी समझ का सहारा न लेना, बल्कि पूरे दिल से यहोवा पर भरोसा रखना, उसी को ध्यान में रखकर सब काम करना, तब वह तुझे सही राह दिखाएगा।”
“हमेशा की ज़िंदगी पाने के लिए ज़रूरी है कि वे तुझ एकमात्र सच्चे परमेश्वर को और यीशु मसीह को जिसे तूने भेजा है, जानें।”
‘सच तो यह है कि परमेश्वर हममें से किसी से भी दूर नहीं है।’
“मैं यही प्रार्थना करता रहता हूँ कि सही ज्ञान और पैनी समझ के साथ तुम्हारा प्यार और भी बढ़ता जाए।”
“अगर तुममें से किसी को बुद्धि की कमी हो तो वह परमेश्वर से माँगता रहे और वह उसे दी जाएगी, क्योंकि परमेश्वर सबको उदारता से और बिना डाँटे-फटकारे देता है।”
“परमेश्वर के करीब आओ और वह तुम्हारे करीब आएगा। अरे पापियो, अपने हाथ धोओ, अरे शक करनेवालो, अपने दिलों को शुद्ध करो।”
“परमेश्वर से प्यार करने का मतलब यही है कि हम उसकी आज्ञाओं पर चलें और उसकी आज्ञाएँ हम पर बोझ नहीं हैं।”