हम क्यों यकीन कर सकते हैं कि बाइबल परमेश्वर की तरफ से है?
बाइबल में लिखा है कि यह “परमेश्वर का वचन” है और परमेश्वर कभी “झूठ नहीं बोल सकता।” (1 थिस्सलुनीकियों 2:13; तीतुस 1:2) क्या वाकई ऐसा है या फिर बाइबल बस कथा-कहानियों की किताब है?
बाइबल में लिखा है कि यह “परमेश्वर का वचन” है और परमेश्वर कभी “झूठ नहीं बोल सकता।” (1 थिस्सलुनीकियों 2:13; तीतुस 1:2) क्या वाकई ऐसा है या फिर बाइबल बस कथा-कहानियों की किताब है?