दिल को सँभाल
1. है कश्मकश मेरे दिल में,
के खुश तुझे करूँ दिल से।
सोचूँ क्या कमी मुझमें,
खुश तो है ना तू मुझसे?
रातें कटें जब आँखों में,
दुआ करूँ मैं तब नम आँखों से।
मन में जब हो बेचैनी,
यहोवा कहता ये तू ही,
(कोरस)
कि दिल को सँभाल, ना कर तू फिकर,
बरकतों पर रख तू नज़र।
गम के साए में अब ना रहूँ।
सँभालूँ मन को और पाऊँ सुकूँ।
2. पूरी करूँ मरज़ी तेरी,
बस आरज़ू यही मेरी।
ज़िंदगी आसाँ नहीं,
सोचूँ मैं लायक नहीं।
मगर करूँ मज़बूत खुद को,
सुहानी आशा मैं दूँ लोगों को।
लड़ाई है ये मुश्किल।
पर तेरे प्यार के हूँ काबिल।
(कोरस)
है दिल का खयाल, करूँ ना फिकर,
बरकतों पर रखूँ नज़र।
गम के साए में अब ना रहूँ।
सँभालूँ मन को और पाऊँ सुकूँ।
पाऊँ सुकूँ।
(जोड़नेवाली पंक्तियाँ)
मायूसियाँ छाने ना दूँ।
हौसले बुलंद मैं रखूँ।
अब ना फिकर और ना कोई डर,
यहोवा मुझ पे सदा तेरी नज़र।
सदा तेरी नज़र।
(कोरस)
है दिल का खयाल, करूँ ना फिकर,
बरकतों पर रखूँ नज़र।
गम के साए में अब ना रहूँ।
सँभालूँ मन को और पाऊँ सुकूँ।