नौजवानों के सवाल
मुझे प्रार्थना क्यों करनी चाहिए?
एक सर्वे के मुताबिक अमरीका के 80 प्रतिशत जवान प्रार्थना करते हैं, लेकिन सिर्फ 40 प्रतिशत ऐसे हैं जो रोज़ प्रार्थना करते हैं। इनमें से कुछ सोचते हैं, ‘क्या प्रार्थना करने से सिर्फ मन की शांति मिलती है या इसके कुछ और भी फायदे हैं?’
प्रार्थना करने का क्या मतलब है?
प्रार्थना करने का मतलब है इस दुनिया के बनानेवाले से दिल से बात करना। ज़रा सोचिए कि यह हमारे लिए कितने बड़े सम्मान की बात है! यहोवा इंसानों से हर बात में महान है, फिर भी “वह हममें से किसी से भी दूर नहीं है।” (प्रेषितों 17:27) यहाँ तक कि बाइबल में हमें एक बेहतरीन न्यौता दिया गया है, “परमेश्वर के करीब आओ और वह तुम्हारे करीब आएगा।”—याकूब 4:8.
आप परमेश्वर के करीब कैसे आ सकते हैं?
एक तरीका है प्रार्थना करके, इसके ज़रिए आप परमेश्वर से बात करते हैं।
एक और तरीका है बाइबल पढ़कर, इसके ज़रिए परमेश्वर आपसे “बात” करता है।
जब प्रार्थना के ज़रिए आप परमेश्वर से बात करते हैं और बाइबल के ज़रिए जब वह आपसे बात करता है, तो उसके साथ आपकी दोस्ती और गहरी हो जाती है।
“यहोवा से बात करना यानी इस जहान के मालिक से बात करना, हम इंसानों के लिए एक बहुत बड़ा सम्मान है।”—जैरमी।
“प्रार्थना में यहोवा से अपने दिल की बात कहने से मैं उसके करीब महसूस करती हूँ।”—मरांडा।
क्या परमेश्वर हमारी प्रार्थनाएँ सुनता है?
हो सकता है कोई परमेश्वर को मानता हो और उससे प्रार्थना करता हो, तब भी शायद उसके लिए यह मानना मुश्किल हो कि परमेश्वर सच में हमारी प्रार्थनाएँ सुनता है। मगर बाइबल में यहोवा को “प्रार्थना का सुननेवाला” कहा गया है। (भजन 65:2) बाइबल यह भी न्यौता देती है कि “तुम अपनी सारी चिंताओं का बोझ उसी पर डाल दो।” क्यों? “क्योंकि उसे तुम्हारी परवाह है।”—1 पतरस 5:7.
ज़रा सोचिए: क्या आप हर रोज़ अपने जिगरी दोस्तों से बात करते हैं? अगर हाँ तो आप परमेश्वर से भी रोज़ बात कर सकते हैं। यहोवा का नाम लेकर रोज़ उससे प्रार्थना कीजिए। (भजन 86:5-7; 88:9) जी हाँ, बाइबल कहती है, “लगातार प्रार्थना करते रहो।”—1 थिस्सलुनीकियों 5:17.
“प्रार्थना के ज़रिए मैं स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता से बात करता हूँ और उसे अपने दिल की एक-एक बात बताता हूँ।”—मौइज़िस।
“यहोवा से मैं खुलकर बात करती हूँ, जैसे अपनी मम्मी या किसी करीबी दोस्त से करती हूँ।”—कैरन।
मैं किन बातों के बारे में प्रार्थना कर सकता हूँ?
बाइबल बताती है, “हर बात के बारे में प्रार्थना और मिन्नतों और धन्यवाद के साथ परमेश्वर से बिनतियाँ करो।”—फिलिप्पियों 4:6.
क्या इसका मतलब है कि हम परमेश्वर को अपनी परेशानियाँ भी बता सकते हैं? हाँ बिलकुल बता सकते हैं। बाइबल में तो यहाँ तक लिखा है कि “अपना सारा बोझ यहोवा पर डाल दे, वह तुझे सँभालेगा। वह नेक जन को कभी गिरने नहीं देगा।”—भजन 55:22.
लेकिन यह भी सच है कि आपको परमेश्वर को सिर्फ अपनी परेशानियाँ नहीं बतानी चाहिए। शौनतैल नाम की लड़की कहती है, “अगर मैं यहोवा से सिर्फ मदद ही माँगती रहूँ तो मैं एक अच्छी दोस्त नहीं कहलाऊँगी। मुझे लगता है कि प्रार्थना करते वक्त हमें सबसे पहले उसे शुक्रिया कहना चाहिए और वह भी सिर्फ कुछ बातों के लिए नहीं बल्कि ज़्यादा-से-ज़्यादा बातों के लिए।”
ज़रा सोचिए: आप किन बातों के लिए यहोवा के एहसानमंद हैं? क्या आप ऐसी तीन बातों के बारे में सोच सकते हैं जिनके लिए आप आज यहोवा को शुक्रिया कहना चाहेंगे?
“छोटी-छोटी बातों पर, जैसे सुंदर-सा फूल देखकर भी हमारा मन कर सकता है कि हम यहोवा को शुक्रिया कहें।”—ऐनीटा।
“अगर बाइबल की कोई आयत आपका दिल छू ले या कुदरत की कोई खूबसूरत चीज़ आपको पसंद आए, तो उसके बारे में सोचिए और फिर उनके लिए यहोवा को शुक्रिया कहिए।”—ब्रायन।